Friday, August 9, 2013

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं

भारत एक ऐसा देश जो मुग़ल काल से लेकर अंग्रेजो के शासन काल तक सदियों से लड़ता आ रहा है और हम आज भी भ्रस्टाचार , कालाधन , सुरक्षा के लिए लड़ रहे है।

"बाटो और राज करो , लूट लो भरे खजानों को
इरादे-ए-दुश्मन आज भी है  वही, बस हिजाब बदल गए है"

आज हमें हर लड़ाई के पहले कवि दुष्यंत कुमार ए पंक्तिया याद  रखनी चाहिए ।
 
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

कवि : दुष्यंत कुमार

धन्यवाद

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