Saturday, September 20, 2014

पुस्तकालय

आज सुबह विचरण करते
पंहुचा पुस्तकालय के अन्दर

सहसा मेरी नजर पड़ी
किताबो के उन ढेर पर

पाया,गीता  कुरान बाइबल
सब रहते है मिल साथ यहाँ ।

धर्म अलग  मार्ग अलग
सब के पालनकार अलग ।

क्रोधित विस्मृत आश्चर्यचकित
मैंने पूछा सब एक साथ क्यों।

हा नाम अलग है हम सब का ।
हरा, गेरुआ ,सफ़ेद रंग हमारे ।

सूरत भी अलग है हमारी पर
अंतर्मन एक है हम सब का ।

शांति ,सद्भाव अन्दर है मुझमे
हम सब अंतर्मन के साथी है ।

जरुर दिखेगे अलग तुम्हे हम 
जब  सूरत  तुम मेरी  देखोगे ।

जिस दिन मेरे अंतर्मन को देखोगे
मकसद ,मजहब एक है पाओगे ।

नेकी धर्म दया और सन्मार्ग
निहित तुम मुझ में पाओगे ।

लौट पड़ा निरुत्तर हो वहा से
परिचित हो कर उन भावो से ।

शांति प्रेम और सद्भाव से सब
खुश रहते है मिलकर साथ यहाँ ।

लड़ते तो हम है सदा उनके खातिर
जो उनको कभी हम पढ़ते नहीं ।