आज सुबह विचरण करते
पंहुचा पुस्तकालय के अन्दर
सहसा मेरी नजर पड़ी
किताबो के उन ढेर पर
पाया,गीता कुरान बाइबल
सब रहते है मिल साथ यहाँ ।
धर्म अलग मार्ग अलग
सब के पालनकार अलग ।
क्रोधित विस्मृत आश्चर्यचकित
मैंने पूछा सब एक साथ क्यों।
हा नाम अलग है हम सब का ।
हरा, गेरुआ ,सफ़ेद रंग हमारे ।
सूरत भी अलग है हमारी पर
अंतर्मन एक है हम सब का ।
शांति ,सद्भाव अन्दर है मुझमे
हम सब अंतर्मन के साथी है ।
जरुर दिखेगे अलग तुम्हे हम
जब सूरत तुम मेरी देखोगे ।
जिस दिन मेरे अंतर्मन को देखोगे
मकसद ,मजहब एक है पाओगे ।
नेकी धर्म दया और सन्मार्ग
निहित तुम मुझ में पाओगे ।
लौट पड़ा निरुत्तर हो वहा से
परिचित हो कर उन भावो से ।
शांति प्रेम और सद्भाव से सब
खुश रहते है मिलकर साथ यहाँ ।
लड़ते तो हम है सदा उनके खातिर
जो उनको कभी हम पढ़ते नहीं ।
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