Saturday, September 20, 2014

पुस्तकालय

आज सुबह विचरण करते
पंहुचा पुस्तकालय के अन्दर

सहसा मेरी नजर पड़ी
किताबो के उन ढेर पर

पाया,गीता  कुरान बाइबल
सब रहते है मिल साथ यहाँ ।

धर्म अलग  मार्ग अलग
सब के पालनकार अलग ।

क्रोधित विस्मृत आश्चर्यचकित
मैंने पूछा सब एक साथ क्यों।

हा नाम अलग है हम सब का ।
हरा, गेरुआ ,सफ़ेद रंग हमारे ।

सूरत भी अलग है हमारी पर
अंतर्मन एक है हम सब का ।

शांति ,सद्भाव अन्दर है मुझमे
हम सब अंतर्मन के साथी है ।

जरुर दिखेगे अलग तुम्हे हम 
जब  सूरत  तुम मेरी  देखोगे ।

जिस दिन मेरे अंतर्मन को देखोगे
मकसद ,मजहब एक है पाओगे ।

नेकी धर्म दया और सन्मार्ग
निहित तुम मुझ में पाओगे ।

लौट पड़ा निरुत्तर हो वहा से
परिचित हो कर उन भावो से ।

शांति प्रेम और सद्भाव से सब
खुश रहते है मिलकर साथ यहाँ ।

लड़ते तो हम है सदा उनके खातिर
जो उनको कभी हम पढ़ते नहीं ।

Wednesday, July 16, 2014

एक संदेश दहशतगर्दों के नाम

दहशतगर्दी की हुकूमत कभी चल नहीं सकती
हमने ऐसे कितनो को गर्दिश में जाते देखा है।

सद्दाम, कभी कायम  था दहशत इराक में
दुनिया ने उसको भी गिडगिडाते देखा है।

निजाम-ऐ-दहशत कभी था बिन लादेन 
हमने उसको भी परछाई छुपाते देखा है ।

मुल्क-ए-हिंदोस्ता पर था कभी  राज इनका
आज हमने जमी से नामो-निशा मिटा रखा है।

हां बेशक मिल जाएगी ,मिल्कियत कुछ दिन की
पर दहशत का साम्राज्य कभी न किसने देखा है ।

अमन शांति और भाईचारा का ही है राज सदा
जीना है जग में तुझको तो पढ़ ले ऐ पाठ यहाँ ।

इतिहास गवाह है सद्दाम लादेन से दहशतगर्दो का
ऐ बगदादी ! तू सुन ले तेरा भी हश्र वही होगा।


-संतोष