Wednesday, July 22, 2015

रिश्तो की डोर

रिश्ते के धागे को शायरी में पिरोने का मेरा प्रयास.....

रिश्ते जीवन के हमेशा डोर से बंधते है
कभी टूटे तो एक पर इल्जाम मत देना ।

उलझने आ जाती है अक्सर घुलने मिलने में
सुलझेगी हर उलझन बस मिल के सुलझाना ।

बचा के रखने का बस इतना सा किस्सा है
दूर हो तुम से तो तरफ उनके तुम झुक जाना।

रिश्ते जीवन के, हमेशा डोर से बंधते है
कभी टूटे तो एक पर इल्जाम मत देना ।

--संतोष कुमार 

Saturday, September 20, 2014

पुस्तकालय

आज सुबह विचरण करते
पंहुचा पुस्तकालय के अन्दर

सहसा मेरी नजर पड़ी
किताबो के उन ढेर पर

पाया,गीता  कुरान बाइबल
सब रहते है मिल साथ यहाँ ।

धर्म अलग  मार्ग अलग
सब के पालनकार अलग ।

क्रोधित विस्मृत आश्चर्यचकित
मैंने पूछा सब एक साथ क्यों।

हा नाम अलग है हम सब का ।
हरा, गेरुआ ,सफ़ेद रंग हमारे ।

सूरत भी अलग है हमारी पर
अंतर्मन एक है हम सब का ।

शांति ,सद्भाव अन्दर है मुझमे
हम सब अंतर्मन के साथी है ।

जरुर दिखेगे अलग तुम्हे हम 
जब  सूरत  तुम मेरी  देखोगे ।

जिस दिन मेरे अंतर्मन को देखोगे
मकसद ,मजहब एक है पाओगे ।

नेकी धर्म दया और सन्मार्ग
निहित तुम मुझ में पाओगे ।

लौट पड़ा निरुत्तर हो वहा से
परिचित हो कर उन भावो से ।

शांति प्रेम और सद्भाव से सब
खुश रहते है मिलकर साथ यहाँ ।

लड़ते तो हम है सदा उनके खातिर
जो उनको कभी हम पढ़ते नहीं ।

Wednesday, July 16, 2014

एक संदेश दहशतगर्दों के नाम

दहशतगर्दी की हुकूमत कभी चल नहीं सकती
हमने ऐसे कितनो को गर्दिश में जाते देखा है।

सद्दाम, कभी कायम  था दहशत इराक में
दुनिया ने उसको भी गिडगिडाते देखा है।

निजाम-ऐ-दहशत कभी था बिन लादेन 
हमने उसको भी परछाई छुपाते देखा है ।

मुल्क-ए-हिंदोस्ता पर था कभी  राज इनका
आज हमने जमी से नामो-निशा मिटा रखा है।

हां बेशक मिल जाएगी ,मिल्कियत कुछ दिन की
पर दहशत का साम्राज्य कभी न किसने देखा है ।

अमन शांति और भाईचारा का ही है राज सदा
जीना है जग में तुझको तो पढ़ ले ऐ पाठ यहाँ ।

इतिहास गवाह है सद्दाम लादेन से दहशतगर्दो का
ऐ बगदादी ! तू सुन ले तेरा भी हश्र वही होगा।


-संतोष

Wednesday, October 30, 2013

एकता पुरुष-सरदार वल्लभभाई पटेल


अखंड भारत ..आज हम ये शब्द बड़े गर्व क साथ बोलते है और ये सच भी है की आज हजारो संस्कृतियो जातियों और भाषाओ के होते हुए भी हम एक है।

हमारे देश पर हजारो सालो से विदेशी ताकतों ने राज किया है जब देश आजाद हुआ तो देश छोटी -2 सियासतो में बिखरा हुआ था देश के सामने एक बड़ी समस्या थी देश को संगठित करना । सरदार वल्लभ भाई पटेल एक ऐसे रास्ट्रपुरुष है जिन्हें भारत को संगठित करने में अतुल्य योगदान दिया।

सरदार पटेल गुजरात के एक साधारण से गाँव से एक ऐसी विलक्षण प्रतिभा लेकर जन्मे थे । वकालत में इतने निपुण की अंग्रेजो को इनके सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं होती थी | सरदार पटेल खुद एक असीम साहस का एक उदहारण थे । एक बार जब इन्हें फोड़ा हुआ तो इन्होने खुद अपने हाथो से गरम लोहे से फोड़े को दागा जिसके कारन इन्हें लौह पुरुष की उपाधि प्राप्त हुई।

गाँधी जी के स्वतंत्रता आन्दोलन से प्रेरित होकर बाद में सरदार पटेल स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़े । देश की जनता पर आपके व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव था । असहयोग आन्दोलन में लोगो को जोड़ने का काम आपने बड़ी जोरो से किया और महज कुछ ही दिनों में तीन लाख से जादा लोगो को आन्दोलन से जोड़ा ।

देश सेवा के लिए त्याग करने वाले में सरदार पटेल का नाम अग्रणीय है । जब अंग्रेजो ने कर वसूली की सीमा बढ़ा दी तब इसका विरोध करने के लिए आपने कमिश्नर का पद छोड़कर एक ऐसा आन्दोलन शुरू किया  जिससे कर का विरोध और कर न देने की फैसला किया गया इस आन्दोलन के बाद आपको  सरदार की उपाधि मिली ।

आज हम लौहपुरुष के जन्मदिन पर एक संकल्प ले की हम उनके संघर्ष को बेकार नहीं जाने देंगे  देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेगे ।

जय हिन्द जय भारत ।

Sunday, October 6, 2013

नजर आते है.......

हमारे मुल्क के हालात को बखूबी बयां करने वाली ये पंक्तिया जो देश की स्थिति को आँखों के सामने रख देती है ।

मुल्क तेरी बर्बादी के आसार नज़र आते है,
चोरों के संग पहरेदार नज़र आते है.!!

ये अंधेरा कैसे मिटे , तू ही बता ऐ आसमाँ,
रोशनी के दुश्मन चौकीदार नज़र आते है.!!

हर गली में, हर सड़क पे ,मौन पड़ी है ज़िंदगी,
हर जगह मरघट से हालात नज़र आते है.!!

सुनता है आज कौन द्रौपदी की चीख़ को,
हर जगह दुस्सासन सिपहसालार नज़र आते है.!!

सत्ता से समझौता करके बिक गयी है लेखनी,
ख़बरों को सिर्फ अब बाज़ार नज़र आते है.!!

सच का साथ देना भी बन गया है जुर्म अब,
सच्चे ही आज गुनाहगार नज़र आते है.!!

मुल्क की हिफाज़त सौंपी है जिनके हाथों मे,
वे ही हुकुम शाह आज गद्दार नज़र आते है.!!

खंड-खंड मे खंडित भारत रो रहा है ज़ोरों से,
हर जाति, हर धर्म के, ठेकेदार नज़र आते है.!!

आभार : डाॅ शैलेन्द्र मिश्रा, पटना

Wednesday, October 2, 2013

उदय - दो आदर्श देशभक्त

2 अक्टूबर स्वतंत्र भारत के दिन में सबसे महत्वपूर्ण दिन है । आज के दिन इस धरती पर दो ऐसे महापुरुष अवतरित हुए जिन्होंने न केवल हमें विदेशी शाशन से आजाद कराया बल्कि आने वाले पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने ।

बचपन की एक कविता याद आ रही है

आज का दिन है दो अक्टूबर
आज का दिन है कितना महान ।
आज के दिन दो फूल खिले
जिससे महका हिन्दुस्तान ।।

आज  इन दो फूलो के दिखाए पथ पर चलना भूल कर हम आज के नेतृत्व गलत रास्ते पर चल रहे है ।

सत्य और अहिंसा के सिद्धात जिसने यह सिखाया था की हमें अपने अधिकारों के पाने के लिए हिंसा करने की जरूरत नहीं होती , जरूरत होती है लड़ाई में डटे रहने की, जरूरत होती है दृढ निष्ठां की । गांधीजी ने कहा था-

First they will laugh at you
Then they will ignore you
After that they will fight you
You will Win.

भूख हड़ताल हो या असहयोग आन्दोलन जीवन के हर कार्य से देशभक्ति की भावना व्यक्त करने वाले  को शत-2 नमन ।

धरती माँ के दुसरे फूल लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसे महापुरुष जिनका आभार कभी नहीं चुकाया जा सकता । जब देश पर पाकिस्तान ने आक्रमण किया और अमेरिका  ने गेहू निर्यात करने से मना कर दिया और देश में भुखमरी की स्थिति आ गई थी तो आपने "जय जवान जय किसान " का नारा देकर जवानो में जोश भर दिया और किसानो ने देश में हरित क्रांति ला दी । हफ्ते में इक दिन के उपवास का पालन देश ने गर्मजोशी  से किया था ।

आज हमारे पास साधन होते हुए भी सीमा पर जवान मजबूर और युवा बेरोजगार है   65 % युवा के देश को अपनी जरूरते विदेशो से लानी पड़ती है ,सेना को विदेश में बने हथियार  लाने पड़ते है। आज देश को जरुरत है ऐसे शास्त्री की जो युवा शक्ति को पहचाने और भारत की आत्मा किसानो को प्रेरित करे , जरुरत है गाँधी की जो भ्रस्टाचार जैसे कैसर से लड़ सके ।

जब तक देश को ऐसा नेत्रित्व नहीं मिलेगा तब तक हमें सच्ची आजादी नहीं मिलेगी ।

Wednesday, September 4, 2013

शिक्षक

"शिष्य अयोग्य होगे यदि वे अपने गुरु के विचारो की समालोचना किये बिना स्वीकार करे

सही मायने में वही शिक्षक है जो अपने विद्यार्थी को परिस्थितियों के अनुसार सोचने के लिए प्रेरित करता है"
-ड़ा सर्वपल्ली राधाकृषणन

पथ प्रदर्शक  मार्ग दर्शक
राह है दिखलाता शिक्षक ।

काले तख़्त पर लिख सफ़ेद स्याह से
उज्जवल भविष्य  बनाता शिक्षक।

कांच कुंभ सा शरीर कोमल
करता है साकार शिक्षक।

इश्वर प्राप्ति जीवन लक्ष्य
मार्ग है दिखलाता शिक्षक ।

मात्र-पित्र, भ्रात्र ,बनकर मित्र
साथ हर क्षण है शिक्षक ।

घिर जाते जब हम तमस में
ज्ञान-दीप्ति जलाता शिक्षक ।

मैं अकिंचन  ऋण बहुत
हीन सब आभार शिक्षक ।

हो कठिन जीवन पथ जब-जब
चाहूं आपका आशीर्वाद शिक्षक ।

-संतोष